
रतलाम जिले के डोसीगांव स्थित शक्ति फ्यूल्स पेट्रोल पंप ने मुख्यमंत्री मोहन यादव के काफिले को ऐसा “शक्ति पेय” परोसा कि 19 इनोवा गाड़ियों में से कोई भी 19 कदम आगे नहीं बढ़ सकी। सभी गाड़ियां एक-एक करके रास्ते में ही दम तोड़ने लगीं। अफरा-तफरी में गाड़ियों को साइड में धकेला गया — VIP काफिला कुछ देर के लिए ‘साइलेंट मोड’ में चला गया।
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डीजल नहीं, आधा टैंक ‘रेन वॉटर हार्वेस्टिंग’
जांच में पता चला कि 20 लीटर डीजल में से करीब 10 लीटर तो पानी ही था। अब ये डीजल था या कोई सरकारी योजना का नया प्रायोगिक ईंधन – ये तो भारत पेट्रोलियम ही बताए! एरिया मैनेजर साहब ने सुझाव दिया कि “बारिश की वजह से पानी टैंक में चला गया होगा।” लगता है अब पेट्रोल पंप भी बारिश से ‘रीचार्ज’ होते हैं।
ट्रक भी फंसा, सरकारी ‘रील’ में बना रियल ड्रामा
एक ट्रक ने भी वहीं से 200 लीटर डीजल भरवाया था, और वो भी थोड़ी दूर जाकर ही ‘ठप’ हो गया। मतलब सारा पेट्रोल पंप ‘Hydration Mode’ में था। कोई गाड़ी वहां से निकलती, तो वो या तो बंद हो जाती या पेट्रोलियम स्नान लेकर आगे बढ़ती।
अफसर मौके पर पहुंचे, और माथा पकड़ लिया
नायब तहसीलदार आशीष उपाध्याय, खाद्य एवं आपूर्ति अधिकारी और बाकी टीम मौके पर पहुंचे। जब उन्होंने गाड़ियों के टैंक खुलवाकर देखा, तो ऐसा लगा मानो डीजल नहीं, “हर घर नल योजना” की पाइपलाइन से पानी भर दिया गया हो।
पेट्रोल पंप सील, लेकिन सवाल अब भी खुले
रात 1 बजे तक जांच चलती रही और अंत में पेट्रोल पंप को सील कर दिया गया। पर बड़ा सवाल ये है कि VIP मूवमेंट से ठीक पहले इतनी लापरवाही कैसे हो गई? क्या हर बार मुख्यमंत्री को ही पानी टेस्ट करना पड़ेगा?
इमरजेंसी में बुलवाई गईं नई गाड़ियां
काफिले की हालत देखकर प्रशासन को इंदौर से नई इनोवा गाड़ियां मंगवानी पड़ीं। कुछ अधिकारी तो सोचने लगे – “क्या अगली बार मुख्यमंत्री को कैनो या नाव से लाना पड़ेगा?” रतलाम के ‘राइज 2025’ कार्यक्रम के पहले ये ‘डूबता हुआ ट्रेलर’ मिल गया!
डीजल में पानी नहीं मिला, पानी में डीजल मिला!
इस पूरी घटना ने साबित कर दिया कि हमारे सिस्टम में पानी कहां-कहां घुस सकता है – ईंधन टैंक से लेकर ज़िम्मेदारी के टैंक तक। और ये कोई आम घटना नहीं, मुख्यमंत्री के काफिले के साथ हुआ, तो ज़रा सोचिए आम जनता को कौन सा ‘मिक्स’ मिल रहा होगा?
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